लाहौल के किलाड़ के मिंथल गाँव में है Maa Mindhalvasini, का मंदिर. यहाँ आज भी एक बैल से खेती की जाती है. कारण है माँ मिंथलवासिनी के श्राप का डर. मान्यता है अगर 2 बैलों से खेती की गयी वो मर जायेंगे. हालाँकि आज की तकनीक का सहारा लेकर ट्रेक्टर से खेती की जा सकती है. परन्तु ढलानदार जगह होने के कारण ऐसा संभव नहीं है.
लोकगाथाएं
कहा जाता है इस गाँव में घूगंती नामक के बजुर्ग महिला रहा करती थी. घूगंती Maa Kali की परम भगत थी. माँ काली ने उन्हें सपने में दर्शन दिए और कहा की वह यहां पिंडी के रूप में अवतरित होंगी. माँ ने सपने में कहा के अब उनके अवतरित होने का समय आ गया है. इसके पश्चात एक दिन एक लड़की घूंगती के पास तराजू मांगने आई. घूंगति उस समय मख्खन मंथने में वयस्त थी. लड़की ने उनकी मदद करने का आग्रह किया. जब लड़की ने मख्खन को मंथा तो वो ज्यादा निकला. घूंगति ने खुश होकर उसे अपने बड़े बेटे से विवाह करने की बात रखी. लड़की बिना कुछ कहे वहां से चली गयी.
Maa Mindhalvasini का पिंडी के रूप में अवतरण
अगले दिन खाना बनाते समय घूंगती को चूल्हे में एक पिंडी दिखी. उसने उसे तोड़ दिया. तोड़ने के कारण उसका बढ़ना रुक गया. सातवें दिन पिंडी शिला रूप में और ज्यादा बड़ी हो गयी. जब उसे तोड़ना चाहा तो वह इतनी बड़ी हो गयी के छत से बाहर निकल गयी. माँ काली ने घूंगती को अपने पुत्रों को बुलाने के लिए कहा. जब घूंगती ने उन्हें यह कहा के माँ काली हमारे यहाँ अवतरित हुई हैं और उन्हें बुलाया है तो वो नहीं आये. आने के बजाये वो काम में लगे रहे. माँ के श्राप से वो अपने बैलों सहित शिलाओं में बदल गये.
Maa Mindhalvasini का श्राप, और एक बैल से जुताई का रहस्य
जब घूंगती ने यह सारी बात गाँव के लोगों को बतायी तो उन्होंने उसका मजाक उड़ाया और कहा के वो चरखा काते. इस पर Maa Kaali क्रोधित हो गयी. माता ने पूरे गाँव को श्राप दिया. माँ ने श्राप में कहा कि कोई भी अब इस गाव में चरखे से ऊन नहीं कात पायेगा. कोई भी रस्सी से बनी चारपाई पर नहीं सोयेगा. गाँव में 7 पुत्रों की माँ निसंतान हो जायेगी. और दो बैलों के साथ जुताई नहीं की जायेगी. अगर कोई ऐसा करता है तो उसे उनके श्राप का खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
ये सब होने पर घूंगती ने माँ से माफ़ी मांगी. इसके पश्चात माँ काली ने खुश होकर वरदान दिया के मेरी पूजा के पश्चात तुम्हारी भी पूजा होगी. इतना कहने के बाद माँ अद्रिशय हो गयी.
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